नायक अपने जीवन में नुकसान की गहन भावना और सार्थक अनुभवों के अंत को दर्शाता है। वह मानता है कि वह एक बार दौड़ने और नृत्य करने से प्राप्त आनंद को फीका पड़ गया है, जिससे वह डिस्कनेक्ट हो गया और उसके आसपास की दुनिया से वापस आ गया। यह परिवर्तन उनकी धारणा को गहराई से प्रभावित करता है, जिससे सब कुछ तुच्छ और उद्देश्य से रहित लगता है।
यह अस्तित्वगत संकट उसे एक समझ की ओर ले जाता है कि उसका भावनात्मक परिदृश्य नाटकीय रूप से स्थानांतरित हो गया है। वह जिस जीवंत भावनाओं को संजोने के लिए इस्तेमाल करते थे, वह अब सिर्फ यादें हैं, जीवन पर अपने दृष्टिकोण को शून्यता और वियोग में बदलना।