व्यावहारिकता हमारी धारणाओं को नियंत्रित करती है। जीवित रहने के लिए, हमारे छोटे दिमागों को बर्फ़ीला तूफ़ान के लिए आवश्यक है, जो हमें भारी पड़ने की धमकी देता है। हमारी धारणाएं चमत्कारिक रूप से लचीली हैं, हमारे विश्वव्यापी रूप से और निरंतर रूप से बदलती हैं जब तक कि हम सुरक्षित बंदरगाह INA आरामदायक भ्रम नहीं पाते हैं।

व्यावहारिकता हमारी धारणाओं को नियंत्रित करती है। जीवित रहने के लिए, हमारे छोटे दिमागों को बर्फ़ीला तूफ़ान के लिए आवश्यक है, जो हमें भारी पड़ने की धमकी देता है। हमारी धारणाएं चमत्कारिक रूप से लचीली हैं, हमारे विश्वव्यापी रूप से और निरंतर रूप से बदलती हैं जब तक कि हम सुरक्षित बंदरगाह INA आरामदायक भ्रम नहीं पाते हैं।


(Practicality rules our perceptions.To survive, our tiny brains need to tame the blizzard ofdelusion generatorinformation that threatens to overwhelm us. Our perceptionsare wondrously flexible, transforming our worldviewautomatically and continuously until we find safe harbor ina comfortable delusion.)

📖 Scott Adams


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स्कॉट एडम्स के "भगवान के मलबे" में, वह इस विचार की पड़ताल करता है कि व्यावहारिकता आकार देती है कि हम दुनिया को कैसे देखते हैं। हमारे दिमाग, आकार में छोटे, जानकारी और भ्रम की भारी मात्रा का प्रबंधन करना चाहिए जो हम दैनिक रूप से सामना करते हैं। यह प्रक्रिया हमें यह बताने में मदद करती है कि अस्तित्व और समझ के लिए क्या आवश्यक है।

नतीजतन, हमारी धारणाएं तय नहीं हैं, बल्कि अनुकूलनीय हैं। जब हम परिचित मान्यताओं में आराम की तलाश करते हैं, तो वे शिफ्ट होते हैं, जिससे हमें वास्तविकता की अराजकता के बीच सुरक्षा की भावना पैदा होती है। लेखक का सुझाव है कि हम अपने विचारों को लगातार ढालते हैं जब तक कि हम एक सुरक्षात्मक और आरामदायक कथा नहीं पाते हैं, भले ही यह एक भ्रम हो।

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अक्टूबर 24, 2025

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