उद्धरण "कभी -कभी दुष्टता प्रबल होती है" इन संघर्षों के सार को घेरता है, यह सुझाव देते हुए कि हमारे सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, बुराई कभी -कभी पुण्य पर जीत सकती है। यह वास्तविकता नायक को अपनी सीमाओं और समाज की खामियों का सामना करने के लिए चुनौती देती है, जिससे न्याय और करुणा की गहरी समझ पैदा होती है।