हमें कभी एहसास नहीं हुआ कि हम कितने पारदर्शी हैं।
(We never realise how transparent we are.)
"द राइट एटिट्यूट टू रेन" में, अलेक्जेंडर मैक्कल स्मिथ ने मानव आत्म-धारणा के विषय और व्यक्तियों की अंतर्निहित पारदर्शिता की खोज की। बोली, "हम कभी भी यह महसूस नहीं करते हैं कि हम कितने पारदर्शी हैं," यह बताता है कि लोग अक्सर उन तरीकों को नजरअंदाज करते हैं जिनमें उनकी वास्तविक भावनाएं और इरादे दूसरों को दिखाई देते हैं। जागरूकता की इस कमी से रिश्तों में गलतफहमी और छूटे हुए कनेक्शन हो सकते हैं।
पुस्तक सामाजिक बातचीत की बारीकियों में बताती है, यह बताते हुए कि व्यक्ति अपने आंतरिक विचारों और भावनाओं को कैसे प्रोजेक्ट करते हैं, यहां तक कि जब वे मानते हैं कि वे उन्हें छुपा रहे हैं। इस अन्वेषण के माध्यम से, मैककॉल स्मिथ पाठकों को अपने स्वयं के खुलेपन और उनके आसपास के लोगों की धारणाओं से जुड़े होने के महत्व को प्रतिबिंबित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।