लेखक सिर्फ अपनी किताबों में अपनी कल्पनाएँ निभाते हैं। वे अक्सर बहुत अस्थिर, मुश्किल लोग, बर्टी होते हैं। लेखक आमतौर पर वास्तविक जीवन में बहुत खराब होते हैं और महसूस करते हैं कि उन्हें इसके लिए बनाने के लिए काल्पनिक जीवन बनाना होगा।


(Writers just play out their fantasies in their books. They are often very unstable, tricky people, Bertie. Writers are usually very bad at real life and feel that they have to create imaginary lives to make up for it.)

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अलेक्जेंडर मैक्कल स्मिथ के उपन्यास "लव ओवर स्कॉटलैंड" में, चरित्र लेखकों की प्रकृति पर चर्चा करता है, जो व्यक्तियों के रूप में अक्सर अपनी रचनाओं के माध्यम से अपनी भावनात्मक जटिलताओं को नेविगेट करते हैं। उद्धरण से पता चलता है कि लेखक अपनी कल्पनाओं में भाग जाते हैं, कहानी कहने का उपयोग करते हुए वास्तविकता में अपने संघर्षों से निपटने के तरीके के रूप में। इसका तात्पर्य यह है कि उनका कलात्मक उत्पादन उनके आंतरिक उथल -पुथल का प्रतिबिंब हो सकता है।

यह कथन इस विचार पर भी संकेत देता है कि ये लेखक, जबकि उनके शिल्प में शानदार, रोजमर्रा की जिंदगी को चुनौतीपूर्ण लग सकता है। कल्पनाशील आख्यानों को शिल्प करने की उनकी इच्छा जीवन की व्यावहारिकताओं से निपटने में अपर्याप्तता की भावना से उपजी हो सकती है। इस प्रकार, लेखन उनके लिए वैकल्पिक वास्तविकताओं का पता लगाने और उन महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का एक तरीका बन जाता है जो वास्तविक दुनिया में अप्राप्य लग सकते हैं।

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अद्यतन
जनवरी 23, 2025

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