क्या आज की उम्मीदें कल खो गई हैं?


(Are the hopes of today as lost yesterday?)

📖 Naguib Mahfouz


🎂 December 11, 1911  –  ⚰️ August 30, 2006
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नागुइब महफूज़ का "पैलेस वॉक" 20 वीं सदी के काहिरा की शुरुआत में एक परिवार के भीतर सपनों और निराशा के बीच जटिल संबंध की पड़ताल करता है। पात्र अपनी महत्वाकांक्षाओं और वास्तविकताओं से जूझते हैं, यह सवाल करते हैं कि क्या उनकी आकांक्षाएं वास्तव में पूरी हो सकती हैं या यदि वे अतीत की तरह अप्राप्य रहती हैं। यह संघर्ष व्यापक सामाजिक परिवर्तनों और व्यक्तिगत संघर्षों को दर्शाता है, वर्तमान में इतिहास के वजन पर जोर देता है।

उद्धरण "क्या आज की उम्मीदें कल खो गई हैं?" उपन्यास के केंद्रीय विषय को एनकैप्सुलेट करता है। यह पाठकों को यह विचार करने के लिए प्रेरित करता है कि पिछली विफलताएं और अनुभव वर्तमान इच्छाओं को कैसे प्रभावित करते हैं। पात्रों की यात्रा उनके जीवन की कठोर सच्चाइयों के साथ उनकी आशाओं को समेटने की चुनौती का वर्णन करती है, अंततः उन्हें खोई हुई अपेक्षाओं की छाया के बावजूद आत्म-खोज और लचीलापन की ओर बढ़ाती है।

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अद्यतन
जनवरी 24, 2025

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