जॉन सैंडफोर्ड की पुस्तक "बैड ब्लड" में, एक विनोदी और दिलचस्प सवाल उठता है: "क्या मुर्गे के होंठ होते हैं?" यह प्रश्न न केवल पाठक का ध्यान आकर्षित करता है बल्कि गंभीर विषयों को हल्के क्षणों के साथ मिश्रित करने की लेखक की क्षमता को भी दर्शाता है। सैंडफोर्ड के लेखन में अक्सर मजाकिया टिप्पणियाँ होती हैं जो जीवन और मानव स्वभाव के विचित्र पक्षों को प्रकट करती हैं।
इस अजीबोगरीब सवाल के इर्द-गिर्द बातचीत कहानी को हल्का करने का काम करती है और साथ ही पाठकों को सतह से परे सोचने के लिए प्रेरित करती है। यह दर्शाता है कि कैसे जॉन सैंडफोर्ड कहानी के अधिक गहन तत्वों को संतुलित करने के लिए हास्य का उपयोग करते हैं, जिससे यह मनोरंजक और विचारोत्तेजक दोनों बन जाती है।