पागलपन संक्रामक है।


(Insanity is contagious.)

📖 Joseph Heller


🎂 May 1, 1923  –  ⚰️ December 12, 1999
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जोसेफ हेलर के उपन्यास "कैच -22," वाक्यांश "पागलपन संक्रामक है" में

युद्ध की बेतुकेपन और अराजकता को दर्शाता है। चरित्र के अनुभव इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि उनके परिवेश की तर्कहीनता किसी की मानसिक स्थिति को कैसे प्रभावित कर सकती है। अथक नौकरशाही और विरोधाभासी नियम जो वे सामना करते हैं, वह पागलपन की भावना पैदा करता है जो सैनिकों के बीच फैलता है, यह सुझाव देते हुए कि पागलपन से घिरा होने से स्वयं में पवित्रता का नुकसान हो सकता है।

यह उद्धरण इस विचार को रेखांकित करता है कि जब लोग अतार्किक और अराजक व्यवहार की विशेषता वाले वातावरण में एम्बेडेड होते हैं, तो वे इस तरह के पागलपन को सामान्य रूप से स्वीकार करना शुरू कर सकते हैं। यह सैन्य और सामाजिक संरचनाओं की एक आलोचना के रूप में कार्य करता है जो इस चक्र को समाप्त करते हैं, यह दर्शाता है कि कैसे व्यक्तियों को पागलपन के लिए प्रेरित किया जा सकता है, जो कि उन्हें नियंत्रित करने के लिए बहुत ही प्रणालियों द्वारा पागलपन के लिए प्रेरित किया जा सकता है। कुल मिलाकर, हेलर एक शक्तिशाली टिप्पणी प्रस्तुत करता है, जो एक विश्व व्यापकता के साथ पवित्रता की प्रकृति पर अतार्किकता के साथ प्रस्तुत करता है।

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अद्यतन
जनवरी 27, 2025

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