लुपिता ने सोचा कि जो लोग नृत्य नहीं करते थे, वे स्वार्थी और अकेले थे।
(Lupita thought that people who didn't dance were selfish and lonely.)
लुपिता का मानना है कि नृत्य लोगों के बीच खुशी और संबंध की एक आवश्यक अभिव्यक्ति है। वह उन व्यक्तियों को देखती है जो जीवन के एक महत्वपूर्ण हिस्से को याद नहीं करते हैं, जो उन्हें स्वार्थी और अकेला मानने के लिए प्रेरित करता है। उसके लिए, नृत्य का कार्य केवल एक शगल नहीं है; यह समुदाय, स्वतंत्रता और भावनात्मक रिलीज का प्रतीक है।
यह परिप्रेक्ष्य लुपिता के मूल्यों और मानव संपर्क की उसकी समझ पर प्रकाश डालता है। उसकी आँखों में, नृत्य में भाग लेने से व्यक्तियों को एक दूसरे के साथ सार्थक तरीकों से संलग्न होने की अनुमति मिलती है, यह सुझाव देते हुए कि इस सगाई की कमी अलगाव और आत्म-केंद्रितता का प्रतीक है। नृत्य पर अपने विचारों के माध्यम से, लेखक कनेक्शन और मानव अनुभव के व्यापक विषयों को दिखाता है।