डेविड मिशेल की पुस्तक "घोस्टराइटन" में इस विचार का पता लगाया गया है कि सच्चे ज्ञान को कभी-कभी दिखावे से छिपाया जा सकता है। उद्धरण "अक्सर पुरुषों में ज्ञान के रूप में कुछ भी प्रदर्शित नहीं होता है" से पता चलता है कि दिखावे भ्रामक हो सकते हैं, और जो अंतर्दृष्टि या समझ की तरह लग सकता है उसमें वास्तव में गहराई की कमी हो सकती है। मानव व्यवहार पर इस प्रतिबिंब का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति अक्सर ऐसा ज्ञान प्रदर्शित करते हैं जो वास्तव में मौजूद नहीं हो सकता है।
"घोस्टराइटन" की कथा धारणा और वास्तविकता की जटिलताओं पर जोर देते हुए विभिन्न कहानियों को एक साथ बुनती है। मिशेल पाठकों को ज्ञान की प्रामाणिकता पर सवाल उठाने की चुनौती देता है और लोगों के दावों के पीछे के उद्देश्यों की गहन जांच को प्रोत्साहित करता है। पुस्तक दर्शाती है कि वास्तविक ज्ञान के साथ अनुभव को भ्रमित करना कितना आसान है, जो ज्ञान की प्रकृति के बारे में निरंतर संवाद को आमंत्रित करता है।