लौरा एस्क्विवेल की "टिटा की डायरी" का उद्धरण सत्य पर एक विरोधाभासी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, यह सुझाव देता है कि जिसे हम सत्य के रूप में मानते हैं वह सार्वभौमिक नहीं बल्कि व्यक्तिपरक है। तात्पर्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति का परिप्रेक्ष्य व्यक्तिगत अनुभवों और दृष्टिकोणों से प्रभावित, सत्य के उनके संस्करण को आकार देता है। यह चिंतनशील दृष्टिकोण पाठक को इस बात पर विचार करने के लिए आमंत्रित...