सैंड्रा स्टीफन की पुस्तक "कम समर" का उद्धरण उन विभिन्न तरीकों पर प्रकाश डालता है जो भावनाएं हमारे परिप्रेक्ष्य को प्रभावित कर सकती हैं। यह बताता है कि दुःख हमें अतीत पर रहने का कारण बनता है, अक्सर अफसोस या नुकसान की भावनाओं को सामने लाता है। यह प्रतिबिंब हमें उदासी के एक चक्र में फंसा सकता है क्योंकि हम पहले से ही क्या हुआ है, हमें आगे बढ़ने से रोकते हैं।
दूसरी ओर,चिंता हमारे वर्तमान परिवेश और वर्तमान क्षण की अनिश्चितताओं पर हमारा ध्यान आकर्षित करती है। यह चिंता की भावना पैदा कर सकता है क्योंकि हम अपने दैनिक जीवन को नेविगेट करते हैं। इसके विपरीत, विश्वास हमें आशावाद और आशा के साथ आगे देखने के लिए प्रोत्साहित करता है, पिछली परेशानियों या वर्तमान भय के बजाय भविष्य की संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित करता है। यह सक्रिय दृष्टिकोण हमें सशक्त बना सकता है और चुनौतियों के सामने लचीलापन को प्रेरित कर सकता है।