अर्थव्यवस्था का कानून: कुछ भी बर्बाद नहीं है। यहां तक ​​कि असत्य भी। इस प्रक्रिया में क्या उदात्तता है।


(Law of economy: nothing is waste. Even the unreal. What a sublimity in the process.)

📖 Philip K. Dick

🌍 अमेरिकी  |  👨‍💼 लेखक

🎂 December 16, 1928  –  ⚰️ March 2, 1982
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"अर्थव्यवस्था के कानून" की अवधारणा बताती है कि कुछ भी वास्तव में बर्बाद नहीं होता है, भले ही यह असत्य या महत्वहीन दिखाई दे। यह विचार इसकी तत्काल उपयोगिता की परवाह किए बिना, हर अनुभव और तत्व के आंतरिक मूल्य पर जोर देता है। फिलिप के। डिक के "द मैन इन द हाई कैसल" में, यह धारणा पाठकों को यह प्रतिबिंबित करने के लिए आमंत्रित करती है कि अस्तित्व के व्यापक टेपेस्ट्री में सब कुछ कैसे योगदान देता है।

यह परिप्रेक्ष्य हमें अपशिष्ट और मूल्य की हमारी समझ पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित करता है। उद्धरण में संदर्भित उदात्तता इंगित करती है कि जीवन और वास्तविकता के सबसे अधिक तुच्छ पहलू भी हमारे अनुभवों और दुनिया की समझ को आकार देने में महत्व रखते हैं। उपन्यास एक वैकल्पिक इतिहास के भीतर इन विषयों की पड़ताल करता है, यह बताते हुए कि मूल्य और महत्व की धारणाएं नाटकीय रूप से कैसे भिन्न हो सकती हैं।

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अद्यतन
जनवरी 24, 2025

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