आत्मा चली गई, मनुष्य कचरा है।
(The spirit gone, man is garbage.)
जोसेफ हेलर द्वारा "कैच -22" पुस्तक में, बोली "द स्पिरिट गॉन, मैन इज़ कचरा" में इस विचार को समझाता है कि उद्देश्य या जीवन शक्ति की भावना के बिना, मानव अस्तित्व अपना मूल्य खो देता है। वाक्यांश बताता है कि जब किसी व्यक्ति का सार अनुपस्थित होता है, तो वे त्याग किए गए कचरे की तरह हो जाते हैं, अर्थ और आशा से रहित हो जाते हैं। यह उपन्यास के व्यापक विषयों को दर्शाता है, जो युद्ध और नौकरशाही के अमानवीय प्रभावों की आलोचना करता है।
हेलर का काम सैन्य जीवन की गैरबराबरी की पड़ताल करता है और अराजक परिस्थितियों के बीच उनकी अखंडता और आत्मा को बनाए रखने में संघर्ष व्यक्तियों का सामना करना पड़ता है। यह उद्धरण आत्मा और व्यक्तित्व के महत्व के एक मार्मिक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है, इस बात पर जोर देते हुए कि इन गुणों के बिना, किसी का जीवन खाली और बेकार महसूस हो सकता है।