... हम सभी अपने आप से झूठ बोलते हैं; हम अपने स्वयं के झूठ को और अधिक झूठ बोलते हैं, जितना कि हम कभी अन्य लोगों को करते हैं।


(…we all lie to ourselves; we tell our own selves more lies than we ever do other people.)

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फिलिप के। डिक के उपन्यास "काउंटर-क्लॉक वर्ल्ड" में, आत्म-धोखे की अवधारणा केंद्रीय है। उद्धरण इस विचार को रेखांकित करता है कि व्यक्ति अक्सर खुद को दूसरों की तुलना में अधिक धोखा देते हैं, जो व्यक्तिगत सत्य के साथ एक गहरी जड़ें संघर्ष का सुझाव देते हैं। यह आत्म-झूठ एक नकल तंत्र के रूप में कार्य करता है, जिससे लोगों को दर्दनाक सत्य से बचने के दौरान अपनी वास्तविकताओं को नेविगेट करने की अनुमति मिलती है। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे व्यक्ति ऐसे कथन बनाते हैं जो उन्हें अपनी कमियों या विफलताओं का सामना करने से बचाते हैं।

यह विषय इस धारणा के साथ प्रतिध्वनित होता है कि आत्म-जागरूकता चुनौतीपूर्ण हो सकती है। मानव मनोविज्ञान की पेचीदगियां लोगों को विस्तृत कहानियों का निर्माण करने के लिए प्रेरित करती हैं जो उनके कार्यों या विश्वासों को सही ठहराती हैं। खुद से झूठ बोलकर, हम असहज वास्तविकताओं का सामना करने से बच सकते हैं, लेकिन यह अभ्यास अंततः हमारे विकास में बाधा डालता है। इस विषय की डिक की खोज पाठकों को उनके सत्य और अराजक दुनिया में उनके आत्म-धोखे के परिणामों को प्रतिबिंबित करने के लिए आमंत्रित करती है।

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अद्यतन
जनवरी 24, 2025

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