"द मैन इन द हाई कैसल" में, फिलिप के। डिक ने धारणा की अवधारणा की पड़ताल की, यह सुझाव देते हुए कि अंतरिक्ष और समय की हमारी समझ हमारे दिमाग का निर्माण है। इस विचार का तात्पर्य है कि वास्तविकता अक्सर विकृति के अधीन होती है, किसी के संतुलन में मुद्दों के साथ अनुभव किए गए भटकाव के समान, जैसे कि मध्य कान में एक गड़बड़ी। जब हमारे संज्ञानात्मक संकाय पल -पल लड़खड़ा जाते हैं, तो आसपास की दुनिया पर हमारी समझ अस्थिर हो सकती है, संतुलन खोने के लिए।
यह धारणा इस बात को रेखांकित करती है कि हमारे अनुभव कितने व्यक्तिपरक हो सकते हैं, क्योंकि वे व्यक्तिगत और मनोवैज्ञानिक कारकों से प्रभावित होते हैं। उपन्यास के पात्र इस संघर्ष को मूर्त रूप देते हैं, उनकी वास्तविकता की नाजुकता पर इशारा करते हैं और इसे कितनी आसानी से आंतरिक और बाहरी व्यवधानों द्वारा बदल दिया जा सकता है। डिक का काम पाठकों को अपनी धारणा की प्रकृति और वास्तविकता की जटिलताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए आमंत्रित करता है।