कुछ ने कभी जल्दबाजी में आत्मज्ञान पाया, और कोई भी कभी भी इसे गिबरिश में नहीं खोजेगा
(Few ever found enlightenment in haste, and nobody will ever discover it in gibberish)
उद्धरण इस बात पर जोर देता है कि सच्चा आत्मज्ञान एक क्रमिक प्रक्रिया है, बजाय इसके कि उसे जल्दी किया जा सकता है। यह बताता है कि सार्थक समझ और अंतर्दृष्टि को जल्दी से प्राप्त नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उन्हें प्रतिबिंब और विचार के लिए समय की आवश्यकता होती है। जल्दबाजी की धारणा अधीरता का अर्थ है, जिससे गहरी ज्ञान के बजाय सतही सीखने का कारण बन सकता है।
इसके अलावा, "गिबरिश" का संदर्भ स्पष्ट संचार और विचारशील अभिव्यक्ति के महत्व को उजागर करता है। जब विचारों को एक गड्ढे या असंगत तरीके से व्यक्त किया जाता है, तो व्यक्तियों के लिए किसी भी वास्तविक समझ या ज्ञान को चमकाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए, व्यक्तिगत विकास और प्रभावी संचार दोनों के लिए स्पष्टता और धैर्य आवश्यक है।