दुर्घटनाएँ चाकू की तरह होती हैं, जो या तो हमारे काम आती हैं या हमें काट देती हैं, क्योंकि हम उन्हें ब्लेड या हैंडल से पकड़ लेते हैं।
(Mishaps are like knives, that either serve us or cut us, as we grasp them by the blade or the handle.)
यह उद्धरण हमारे जीवन में चुनौतियों और असफलताओं की दोहरी प्रकृति पर प्रकाश डालता है। जब कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, तो हमारा दृष्टिकोण और दृष्टिकोण यह निर्धारित करता है कि हम उनसे सीखते हैं और बढ़ते हैं या नुकसान उठाते हैं। समस्याओं को सावधानीपूर्वक और सोच-समझकर समझना संभावित दर्द को मूल्यवान सबक में बदल सकता है, जबकि सावधानी के बिना जल्दबाजी करने से अधिक नुकसान हो सकता है। यह जीवन की अप्रत्याशित घटनाओं से निपटने में व्यक्तिगत जिम्मेदारी और मानसिकता पर जोर देता है।