और अकेले रोटी से नहीं, एक व्यक्ति रहता है!


(And not by bread alone, a person lives!)

📖 Naguib Mahfouz


🎂 December 11, 1911  –  ⚰️ August 30, 2006
(0 समीक्षाएँ)

नागुइब महफूज़ का काम "बटेर और शरद ऋतु" मानव अस्तित्व की जटिलता की पड़ताल करता है, इस बात पर जोर देते हुए कि जीवन भोजन जैसी शारीरिक जरूरतों से अधिक शामिल है। उद्धरण "और अकेले रोटी से नहीं, एक व्यक्ति रहता है!" भावनात्मक और आध्यात्मिक पोषण के महत्व को दर्शाता है, यह सुझाव देता है कि तृप्ति एक समृद्ध आंतरिक जीवन और केवल अस्तित्व से परे सार्थक कनेक्शन से आती है। यह परिप्रेक्ष्य व्यक्तियों को अपने जीवन में गहरे अर्थ की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

कथा अपने पात्रों के संघर्षों में बहती है, जो खुशी और उद्देश्य की उनकी खोज को दर्शाती है। महफूज़ ने कहा कि जबकि बुनियादी जीविका आवश्यक है, यह सपनों, रिश्तों और व्यक्तिगत विकास की खोज है जो वास्तव में जीवन को समृद्ध करता है। यह दार्शनिक संदेश पूरी कहानी में प्रतिध्वनित होता है, पाठकों को उनके मूल्यों को प्रतिबिंबित करने के लिए आमंत्रित करता है और वास्तव में उन्हें अपने जीवन में क्या करता है।

Page views
86
अद्यतन
जनवरी 24, 2025

Rate the Quote

टिप्पणी और समीक्षा जोड़ें

उपयोगकर्ता समीक्षाएँ

0 समीक्षाओं के आधार पर
5 स्टार
0
4 स्टार
0
3 स्टार
0
2 स्टार
0
1 स्टार
0
टिप्पणी और समीक्षा जोड़ें
हम आपका ईमेल किसी और के साथ कभी साझा नहीं करेंगे।