और अकेले रोटी से नहीं, व्यक्ति रहता है

और अकेले रोटी से नहीं, व्यक्ति रहता है


(And not by bread alone, the person lives)

📖 Naguib Mahfouz

 |  👨‍💼 उपन्यासकार

🎂 December 11, 1911  –  ⚰️ August 30, 2006
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नागुइब महफूज़ की पुस्तक "बटेर और शरद ऋतु," द कोट "और अकेले रोटी से नहीं, व्यक्ति रहता है," आवश्यक विचार को उजागर करता है कि मानव अस्तित्व मात्र शारीरिक जीविका को स्थानांतरित करता है। इससे पता चलता है कि भावनात्मक, आध्यात्मिक और बौद्धिक पूर्ति एक सार्थक जीवन के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। बयान गहरे कनेक्शन और अनुभवों की आवश्यकता पर जोर देता है जो बुनियादी अस्तित्व की जरूरतों से परे किसी के अस्तित्व को समृद्ध करता है।

Mahfouz का काम अक्सर मानव संघर्ष के विषयों और उद्देश्य की खोज की खोज करता है, यह दर्शाता है कि जीवन को केवल भोजन और आश्रय से अधिक की आवश्यकता होती है। कथा पाठकों को रिश्तों, सपनों और आत्म-बोध के महत्व पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करती है, इस बात को रेखांकित करते हुए कि सच्चे जीवन को शामिल करना शामिल है जो आत्मा को शरीर जितना पोषण देता है।

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अद्यतन
सितम्बर 20, 2025

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